Aan He Mere Shabd (HB)

$3

Author: EKANT SHRIVASTAVA
ISBN: 978-81-7309-778-2
Pages: 135

Language: HINDI
Year: 2013
Binding: Hard Back

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Description

समकालीन युवा कवियों में प्रसिद्ध कवि एकान्त श्रीवास्तव का कविता-संग्रह ‘अन्न हैं मेरे शब्द’ अपने शीर्षक से पाठक को अपनी ओर खींचकर कई तरह से सोचने को विवश करता है। उनकी कविताएँ लोक-संवेदना, लोक-स्मृति तथा लोकसंस्कृति के संस्कारों से उनके कवि-कर्म के स्वभाव और दायित्व पर गहराई से विचारों की नई कौंध पैदा करती हैं। उनकी कविता अन्नमय प्राण का ‘आत्म’ विस्तार लिए हुए हैं, जिसमें ‘अन्य’ भी ‘आत्म’ में समाहित है। इस कारण से हम सहज ही देख सकते हैं कि उनकी कविताएँ अपने समय-समाज की पहचान से संपन्न हैं-उनमें काव्यानुभव का सर्जनात्मक विस्तार है जिन्हें सघन अनुभूति ने जगत-समीक्षा या सभ्यता-समीक्षा की ओर ले जाकर नए अर्थ-संदर्भो की अर्थनिष्पत्ति की है। काव्यानुभवों में चाहे ‘लौटती बैलगाड़ी का गीत’ हो या ‘सिला बीनती लड़कियाँ हों, एक सहज लोकोन्मुखता और लोक-चित्त का उजला संस्कार है, इनमें वह विष नहीं है जिससे आज की तमाम कविता भरी हुई है।

रचना का सच रचना के भीतर ही होता है, उसके बाहर तो भाष्य है, आरोपण है-रचनानुभव का प्रभाव’ है। कविता जीवन यथार्थ के निबटाते जाने का संकल्प भर है-उस संकल्प को पूरा कर लेने का सुख नहीं है। इसी अर्थ में एकान्त श्रीवास्तव की कविता हो या किसी अन्य कवि की कविता, वह सच्चाई का बयान है, सत्य की खोज नहीं है। वह तो सच्चाई का गल्प गढ़ती है और गल्प निरा झूठ नहीं होता है। उसमें अनुभवों का एक संश्लिष्ट संसार होता है, जो हमारी जिजीविषा को संस्कारित करते हुए बढ़ा देती है। यह विचार दुहराने की जरूरत नहीं है कि कविता एक सांस्कृतिक प्रक्रिया है, जिसमें जीवन की आलोचना काव्य-सत्य और काव्य-सौंदर्य के माध्यम से सामने आती है। कविता भाषा नहीं है, शब्द हैशब्द है इसलिए उसके अर्थ-विस्तार में ‘अनंत’ यात्राएँ हैं।

Additional information

Weight 287 g
Dimensions 23 × 14,5 × 1 cm

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