Baba Phareed

$2$4

ISBN:-978-81-7309-5
Pages: 151
Edition: First
Language: Hindi
Year: 2011
Binding: Hard Bound

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Description

भारतीय जनमानस के नैतिक-चरित्र निर्माण में हमारे संतों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। चाहे वे सगुण धारा के संत हों, चाहे निर्गुण धारा के या फिर सूफी धारा के, हमारे सभी संतों के वचन लोकहितकारी हैं। उन्होंने ‘मानुस प्रेम’ पर बल दिया है। उनकी चिंता के केंद्र में जीव मात्र का दुख रहा है। इन्हीं संतों की वचनामृत ने हमें सबूरी का पाठ पढ़ाया और विश्व शांति का मर्म बतलाया। यह चिंता का विषय है कि आज की पीढ़ी हमारे संतों के वचन से दूर होती जा रही है जिसके कारण उनकी दृष्टि एकांगी होती जा रही है और वे तनाव और मानसिक रुग्णता के शिकार हो रहे हैं।

सस्ता साहित्य मंडल ने पहले भी संतों की वाणी को सरल अर्थों के साथ प्रकाशित किया है। इसी क्रम में दरवेश कवि बाबा फ़रीद के वचनों का यह अमूल्य संग्रह बख़्शीश सिंह द्वारा किए गए सरल हिंदी अनुवाद सहित प्रकाशित किया जा रहा है। बाबा फ़रीद के वचन सभी धर्मों और संप्रदायों के लिए समान रूप से हितकारी हैं। इसी कारण उनके वचनों को गुरु नानकदेव जी ने गुरुग्रंथ साहिब’ में प्रमुख स्थान दिया। बाबा फ़रीद के शब्दों में,

 

सफना मन माणिक ठाहणु मूलि मचांगवा।
जे तउ पिरीआ दी सिक हिआउ न ठाहे कहीदा।।

Additional information

Weight 325 g
Dimensions 14,4 × 22,3 × 1,8 cm
Book Binding

Hard Cover, Paper Back

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