Bhartiya Asmita Or Drishti
$4 – $8
Author: KRISHNA DUTT PALIWAL
Pages: 224
Language: HINDI
Year: 2014
Binding: Both
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Description
सस्ता साहित्य मण्डल के अपने कमरे में गांधीजी से संबंधित पुराने लेखकों की पुस्तकें और पांडुलिपियाँ देख रहा था। अचानक मुझे एक पांडुलिपि ‘ भारतीय अस्मिता की खोज’ शीर्षक से मिली। यह पांडुलिपि ‘सारनाथ शिविर में विद्वानों द्वारा व्यक्त विचारों का खज़ाना थी जिसमें * भारतीय अस्मिता और दृष्टि’ पर विचार किया गया था। इस संकल्प के साथ कि इस विषय पर काशी में चर्चा नहीं होगी तो कहाँ होगी? इस सारनाथ शिविर का आयोजन स.ही. वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जी द्वारा प्रवर्तित वत्सल निधिः संवित्ति के अंतर्गत श्रीमती इला डालमिया ने किया था। विषय प्रवर्तन सत्र बौद्ध दर्शन के प्रसिद्ध विद्वान श्री रिपोचे जी ने। इस शिविर में पं. विद्यानिवास मिश्र, प्रो. गोविंदचंद्र पांडेय, प्रसिद्ध दार्शनिक प्रो. दयाकृष्ण, प्रसिद्ध दार्शनिक सोमराज गुप्त, सुश्री प्रेमलता जी, प्रो. के.जी. शाह जी, श्री धर्मपाल, डॉ. फ्रांसीन, डॉ. मुकुंद लाठ, श्री श्रीनिवास, श्री निर्मल वर्मा, श्री वत्स, श्री कृष्णननाथ, श्रीकृष्णन्, नंदकिशोर आचार्य जैसे प्रख्यात चिंतकों ने विषय पर बारह सत्रों में विचार किया। पांडुलिपि की अंतर्यात्रा करने पर मैंने इसमें एक से एक अपूर्व अद्भुत चिंतन पाया। मैं चकित और अवाक् ।
सोच-विचार के बाद मैं इस नतीजे पर पहुँचा कि इस अद्भुत पांडुलिपि को प्रकाशित करना ही चाहिए। यह भी ध्यान में आया कि हो सकता है कि यह पांडुलिपि कभी श्रीमती इला डालमिया। ने मेरे गुरुवर प्रो. इन्द्र नाथ चौधुरी, पूर्व सचिव सस्ता साहित्य मण्डल’, दिल्ली को दी हो। इला जी की बीमारी के कारण यह प्रो. चौधुरी जी के ही पास रह गई हो। ‘वत्सल निधि’ के सचिव प्रो. इन्द्र नाथ चौधुरी जी ही थे। इस तरह यह पांडुलिपि सस्ता साहित्य मण्डल के कार्यालय तक पहुँचने में सफल रही। इसे माँ सरस्वती की कृपा ही कहिए कि यह पांडुलिपि मुझे मिल गई और मैं इस ज्ञान-राशि की धरोहर को सहृदय समाज को सौंपते हुए असीम प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ। इस सारनाथ शिविर में प्रस्तुत विचार हमारे पाठक समाज में चिंतन की नई दृष्टि पैदा करेंगे, इस विश्वास के साथ यह आपके हाथों में दे रहा हूँ।
Additional information
Weight | 300 g |
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Dimensions | 16 × 24,2 × 1,1 cm |
Book Binding | Hard Cover, Paper Back |
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