Bhartiya Swadhinta Sangram Ka Itihas

$5$8

Pages: 450
Edition: Fifth
Language: Hindi
Year: 2011
Binding: Paper Back

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Description

प्रस्तुत पुस्तक को पाठकों के सम्मुख उपस्थित करते हुए हमें जहाँ एक ओर। हर्ष हो रहा है, वहाँ खेद भी। हर्ष इसलिए कि एक महत्त्वपूर्ण कृति पाठकों को प्राप्त हो रही है। खेद इसलिए कि पुस्तक के प्रकाशित होते-होते इसके विद्वान लेखक महायात्रा पर चले गए। उनकी बड़ी इच्छा थी कि पुस्तक जल्दी प्रकाशित हो जाए। अपनी मृत्यु के तीन दिन पूर्व उन्होंने हमें सूचित किया था कि यदि पुस्तक के छपे फर्मे हम उन्हें भिजवा दें तो वह इसकी भूमिका लिख दें। पर काल की गति को कौन जानता है ! दूसरे ही दिन उनको ब्रांको-निमोनिया का हमला हुआ और वह एकाएक चले गए!

पुस्तक के लेखक से हिन्दी के पाठक भलीभांति परिचित हैं। वह न केवल अच्छे लेखक तथा पत्रकार थे, अपितु भारत के स्वाधीनता-संग्राम के एक प्रमुख सेनानी भी रहे थे। आजादी के लिए जितने आन्दोलन हुए, उन सबमें उन्होंने सक्रिय भाग लिया और कई बार जेल गए। इतना ही नहीं, अपनी वाणी, लेखनी तथा दैनिक पत्र के द्वारा आजादी के संदेश के व्यापक प्रसार में भी उन्होंने सहायता दी।

हमारे लिए निस्संदेह यह बड़े सौभाग्य की बात है कि लेखक ने परिश्रम-पूर्वक आजादी का यह इतिहास लिखकर पाठकों के लिए सुलभ कर दिया। सन् 1857 की सुविख्यात क्रान्ति से आरंभ करके स्वाधीनता-प्राप्ति तक की सभी प्रमुख घटनाओं तथा आन्दोलनों का इस पुस्तक में समावेश कर दिया है। वैसे इस विषय पर डॉ० पट्टाभि सीतारमैया का लिखा हुआ ‘कांग्रेस का इतिहास’ उपलब्ध है, लेकिन इस पुस्तक का अपना महत्त्व है। इसमें विस्तारों से यथासंभव बचने का प्रयत्न । किया गया है, साथ ही इस बात की सावधानी भी रखी गई है कि कोई भी महत्त्वपूर्ण घटना छूटने न पाये।

Additional information

Weight 500 g
Dimensions 14 × 21,7 × 2 cm
Book Binding

Hard Cover, Paper Back

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