GodanGhar aur Bahar (Ravindranath tagore)

$6$12

Author: KAMAL KISHORE GOYANKA
Pages: 542
Edition: 2ND(HB), 3RD(PB)
Language: HINDI
Year: 2016(HB), 2018(PB)
Binding: Both

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Description

डॉ. कमल किशोर गोयनका ने प्रेमचंद के अध्ययन-अनुसंधान में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। यह उनकी कठिन तपस्या का ही फल है कि उन्होंने प्रेमचंद साहित्य के शब्द और सत्य के बीच के संबंध को उजागर करने के साथ चिंतन की नवीन दिशा का बंद द्वार खोला है। उन्होंने इस ज्ञान-तप में निरंतर इस भाव को प्रबल रखा कि ‘सोने के चमकीले ढक्कन से सत्य का मुख ढका हुआ है, जगत् का पोषण करनेवाले पूषन् । मुझ सत्य के खोजी के लिए उस ढक्कन को हटा दो’। मुझे लगता है कि इस प्रार्थना की भाषा में ही सच्चाई की असह्य दीप्ति का रहस्य निहित है। समय-समय पर विचारधारा विशेष के प्रतिबद्धों’ ने डॉ. गोयनका जी का लगातार विरोध किया है। लेकिन उन्होंने इस विरोध से शक्ति पाई है। वे विरोध के सामने न रुके, न हटे, न झुके। डटे रहे पूरे संयम-संकल्प के साथ।

प्रेमचंद का साहित्यकार एक जागृत सामाजिक-सांस्कृतिक नवजागरण की चेतना का वाहक है और उसे नैतिक यथार्थवाद-आदर्शवाद और भारतीयता की स्वाधीनता आंदोलन के दिनों की अच्छी परख है। सहसा हम पाते हैं कि प्रेमचंद और मैथिलीशरण गुप्त में एक गहरा साम्य है-दोनों ही जनता के लेखक हैं। दोनों ही एक युग से दूसरे युग में ले जाकर तमाम चिंताओं, यातनाओं, अस्वीकारों के साहस के साथ हमें स्वाधीनचिंतन के क्षेत्र में ले जाकर खड़ा कर देते हैं। दोनों का चिंतन रीतिवाद विरोधी, रूढि भेजक और क्रांतिकारी है और दोनों ही कृषक संवेदनाओं, व्यथाओं, दलित पीड़ाओं को जीवन भर भोगते-लिखते रहे हैं। एक तरह से तो दोनों ही साहित्य निर्माता से औधक देश निर्माता हैं। उनके लेखन का उद्देश्य मानव-प्रेम और देशप्रेम है।

Additional information

Weight 870 g
Dimensions 16,5 × 24,9 × 3,20 cm
Book Binding

Hard Cover, Paper Back

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