Hindi@Swarg. In
$4 – $8
Author: DIVYA MATHUR
Pages: 384
Language: Hindi
Year: 2013
Binding: Both
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Description
इंग्लैंड के प्रसिद्ध हिंदी रचनाकारों में दिव्या माथुर एक बहुचर्चित नाम है। उनकी सर्जनात्मकता साहित्य की कई विधाओं में सम्मान पाती रही है। डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी की जब इंग्लैंड में भारतीय उच्चायुक्त के रूप में नियुक्ति हुई तो वहाँ हिंदी का अरुणोदय काल आरंभ हुआ। दिव्या माथुर उसी समय की रचना-भूमि का एक नाम है। हिंदी के प्रेरणानायक थे-डॉ. सिंघवी जी, उन्होंने वहाँ हिंदी के प्रसार-प्रचार के लिए इतना कार्य किया कि आज उनके कार्य के प्रति हम हिंदी पाठकों का सिर श्रद्धा से झुक जाता है। डॉ. सिंघवी जी ने लंदन में बसे हिंदी रचनाकारों की कृतियों का भारत में प्रकाशन कराया।
दिव्या माथुर जीवन की अनेक छबियों-बिंबों को गहने के बाद उन्हें अपनी काव्यात्मक संवेदना से परिष्कृत करती हैं। उनकी रूपात्मक कल्पना का संसार कहानी हो या कविता एक सघन अनुभूति से खुलता है। कहानियों की जीवनानुभूति में वे अनुभव का गाढापन रखने में विश्वास रखती है। इसलिए दूध में ज्यादा पानी मिलाने की उन्हें आदत नहीं है। उनकी कहानी ‘प्रतीक्षा’ हो या ‘सफरनामा’ उसमें वर्णन-विस्तार उतना ही है जितना की कहानी के कथ्य और रूप के लिए जरूरी है। इसलिए इन कहानियों का काव्यात्मक संवेदना, प्रखर-अनुभूति और सामाजिक सरोकारों की दृष्टि से ही ‘विमर्श’ करना उचित होगा। नारी व्यथा-कथा के कसकते-करकते अनुभवों ने इन कहानियों में आकार पाया है। इसलिए इन कहानियों के पाठ (टेक्स्ट) का अंत:पाठ करते हुए उनके मूल अभिप्राय की व्यंजना को ठीक संदर्भो में समझना पड़ता है। उनका यह कहानीसंग्रह ‘हिंदी@स्वर्ग.इन’ पाठक समाज को सौंपते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है कि स्त्री विमर्श पर विचार-संवाद करनेवाले पाठक इनमें बहुत कुछ नया पाएँगे। सामाजिक अनुभवों से संपन्न इस कहानीसंग्रह में देश और परदेश दोनों ही उपस्थित हैं।
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Book Binding | Hard Cover, Paper Back |
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