Hindustan Ki Kahani (Sampurn) (HB)
₹450
ISBN: 978-81-7309-3
Pages: 660
Edition: Thirteen
Language: Hindi
Year: 2011
Binding: Hard Bound
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Description
‘हिन्दुस्तान की कहानी’ पंडित जवाहरलाल नेहरू की सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय कृतियों में से है। उन्होंने इसे अपनी नवीं और सबसे लम्बी कैद (9 अगस्त, 1942 से 15 जून, 1945) के दिनों में पांच महीनों के भीतर लिखा था।
जेल की दीवारों में बंद होने पर भी पंडितजी इस पुस्तक में भारत की खोज की यात्रा पर निकल पड़ते हैं। वह हमें ईसा के कोई दो हज़ार साल पहले के उस ज़माने में ले जाते हैं, जब सिंध की घाटी में एक विकसित और सम्पन्न सभ्यता फल-फूल रही थी, जिसके खंडहर आज भी हमें मोहनजोदड़ो, हड़प्पा तथा अन्य स्थानों पर मिलते हैं, वहां से इतिहास के विभिन्न और विविध दौरों का परिचय कराते हुए वह हमें आधुनिक काल और उसकी बहुमुखी समस्याओं तक ले आते हैं। और फिर भविष्य की झांकी दिखाकर हमें ख़ुद सोचने और समझने के लिए कहते हैं।
वह हमें भारत की शक्ति के उस अक्षय स्रोत से अवगत कराते हैं, जिसके कारण हमारा देश संघर्षों और हलचलों, उथल-पुथल और कशमकश, साम्राज्य और विस्तार, पतन और गुलामी, विदेशी हमलों और आंतरिक क्रांतियों आदि के बावजूद जिंदा बना रहा है। लेखक का अध्ययन सभी दृष्टिकोण से-ऐतिहासिक, राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, दार्शनिक, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय कोई भी पहलू उनकी पैनी निगाह से नहीं बच पाया है। साथ ही पुस्तक में पाठकों को नेहरूजी की वह व्यक्तिगत छाप भी मिलती है, जिससे इस किताब को आत्मकथाओं की रोचकता, गति और सहृदयता से विभूषित कर दिया है।
पुस्तक 1945 में लिखी गई थी। उस समय पंडितजी ने, जिसे निकट भविष्य कहा। था, वह आज वर्तमान हो गया है। पाठकों को पंडितजी के कई निष्कर्ष आज घटित होते। हुए साफ़ दिखाई दे रहे हैं।
यह पुस्तक लेखक की विश्वविख्यात ‘दि डिस्कवरी ऑव इंडिया’ का अनुवाद है। पाठकों को सम्भवतः पता होगा कि इसका संसार की लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हो चुका है और सभी जगह यह बड़ी लोकप्रिय हुई है।
Additional information
Weight | 815 g |
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Dimensions | 14.5 × 22.6 × 4.3 cm |
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