Hiranand Shastri Smarak Vyakhayan Mala (Part-II)
$5 – $10
ISBN: 978-81-7309-4
Pages: 523
Edition: First
Language: Hindi
Year: 2011
Binding: Paper Back
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Description
स्व. हीरानंद शास्त्री की स्मृति में समय-समय पर आयोजित होने वाले व्याख्यान को इस खंड में संकलित किया गया है। इस खंड का आरंभ मुनीशचंद जोशी के व्याख्यान ‘ऐतिहासिक संदर्भ में शाक्ततंत्र’ से किया गया है।
मुनीशचंद्र जोशी भारतीय पुरातत्व एवं संस्कृति के प्रसिद्ध अध्येता एवं विद्वान हैं। जिन्होंने एक नई दृष्टि (ऐतिहासिक और पुरातात्विक) से शाक्ततंत्र । पर विचार किया है जिससे शाक्ततंत्र को देखने की एक नई दृष्टि पैदा होती है।
दूसरा व्याख्यान ‘काश्मीर की शैव परंपरा’ पर आधारित है।’काश्मीर की शैव परंपरा’ पर रामचंद्र द्विवेदी ने विद्वतापूर्वक जो व्याख्यान दिया उसी का लिपिबद्ध रूप इस व्याख्यान में है। रामचंद्र द्विवेदी भारतीय दर्शन के मनीषी विद्वान हैं। ‘काश्मीर की शैव परंपरा’ का विभिन्न भारतीय दर्शनों पर क्या प्रभाव पड़ा, इसकी सूक्ष्म पड़ताल रामचंद्र द्विवेदी करते हैं।
तीसरे व्याख्यान का विषय ‘रस सिद्धांत : मूल, शाखा, पल्लव और पतझड़ है। इस पर प्रेमलता शर्मा ने अपना व्याख्यान दिया। प्रेमलता जा की अध्यापिका हैं। उन्होंने रस सिद्धांत को संगीत का आधार बनाकर एक दृष्टि से देखने का प्रयास किया है। जिस क्रम में उन्होंने ‘रस सिद्धांत खा, पल्लव और पतझड़ जैसे उपशीर्षकों में विभाजित कर उसकी विवेचना की है।
Additional information
Weight | 735 g |
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Dimensions | 16,1 × 23,9 × 2,9 cm |
Book Binding | Hard Cover, Paper Back |
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