Jindgi Ki Kitab
$4 – $10
ISBN: 978-81-7309-4
Pages: 407
Edition: First
Language: Hindi
Year: 2010
Binding: Paper Back
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Description
श्रेष्ठ भारतीय भाषाओं के कथा साहित्य को मंडल द्वारा हमेशा ही प्रमुखता से प्रकाशित किया जाता रहा है, वैसे भी हिंदी हमेशा से भारतीय भाषाओं को जोड़नेवाला सेतु रहा है। इस क्रम में हम रामनुण्णी कृत मलयालम का चर्चित उपन्यास ‘जिंदगी की किताब’ प्रकाशित कर रहे हैं
मलयालम का यह बहुचर्चित उपन्यास सामाजिक, राजनीतिक तथा धार्मिक विद्रूपता पर प्रेम और मानवता की विजयगाथा है। उपन्यास इस बात को प्रमुखता से स्थापित करता है कि ‘प्रेम ही जीवन का सार है।’ यह उपन्यास नए युग के भारतीय मानस की जीवन कहानी भी है।
उपन्यास के नायक गोविंद वर्मा राजा और उसकी पत्नी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. इंदिरा वर्मा के बीच वह कौन-सी टूटी हुई कड़ी थी जो फिर कभी न जुड़ सकी? वह कौन-सी परिस्थितियाँ और मन:स्थितियाँ थीं जिनके कारण गोविंद वर्मा राजा और सुबैदा एक-दूसरे के करीब आते गए? उपन्यास में लेखक ने विस्तार में जाकर उन कारणों की पड़ताल की है।
भारत की बहुसांस्कृतिकता, बहुधार्मिकता और बहुभाषिकता के मूल तत्त्वों को संप्रेषित करनेवाले इस उपन्यास में केरल के मछुआ समाज का जीवन भी प्रामाणिक रूप में चित्रित हुआ है। उपन्यास में एक तरफ शहर की चकाचौंध करनेवाली ‘विषकुंभी’ सभ्यता है, जिसके भीतर कलुषता भरी हुई है। दूसरी तरफ बाहर से गंदी दिखनेवाली और गॅवार समझी जानेवाली सभ्यता है जिसके भीतर मानवता, उदारता और अपनापन का अजस्र स्रोत है। ‘जिंदगी की किताब’ उपन्यास में यह तथ्य प्रमुखता से स्थापित हुआ है।
Additional information
Weight | 445 g |
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Dimensions | 14 × 21,5 × 2,3 cm |
Book Binding | Hard Cover, Paper Back |
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