Kahanikar Jainendra Kumar
$3 – $7
ISBN: 978-93-88359-05-4
Pages: 148
Edition: First
Language: Hindi
Year: 2019
Binding: Paper Back
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Description
सुप्रसिद्ध समालोचक विजय बहादुर सिंह के आलोचनात्मक लेखों के संग्रह ‘कविता और संवेदना’ का प्रकाशन ‘सस्ता साहित्य मण्डल प्रकाशन’ के लिए सुखद अनुभव है। आजादी के आस-पास और उसके बाद के कुछेक प्रमुख कवियों की काव्यानुभूति के स्वरूप और सृजनशीलता की पड़ताल इन लेखों में की गई है। कवियों की मानसिकता को सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भो, लोक जीवन और विचारधाराओं के प्रभावों-दबावों और टकराहटों से पनपी जीवन-स्थितियों के परिप्रेक्ष्य में देखते हुए उनकी काव्य-प्रवृत्तियों पर विचार किया गया है। कवियों की ‘संवेदना के पृष्ठ-रहस्यों’ का पता लगाने की प्रक्रिया में तलाश की गई है कि परंपरा और आधुनिकता के संबंध सूत्रों, भारतीय और वैश्विक परिदृश्य की परिघटनाओं ने रचनाकार विशेष की मानसिकता को गढ़ने में क्या भूमिका अदा की है; ग्रामीण अथवा शहरी मध्यवर्गीय पृष्ठभूमि ने कवि की संवेदना एवं शिल्प की बनावट को किस प्रकार गढ़ा है; उसकी भाषा को, शब्दार्थ के संबंध को किस तरह गहन और व्यापक बनाया है। सप्तकों के कवियों, प्रगतिशील कवि-त्रयी, अकविता आंदोलन के कवि और हिंदी गजलकारों के कवि-स्वभाव और कविकर्म का मूल्यांकन करते हुए आलोचक की अपनी अभिरुचियाँ और वैचारिक आग्रह भी सक्रिय रहे हैं।
पुस्तक के दूसरे खंड में प्रमुख लंबी कविताओं पर केंद्रित भाष्यपरक लेख इस संग्रह की महत्वपूर्ण उपलब्धि हैं। लेखक ने इन्हें ‘गद्यपाठ’ कहा है। पाठविश्लेषणपरक ये लेख कविताओं की बहुलार्थकता के उद्घाटित करते हुए इनके लोकोन्मुख स्वरूप को उजागर करते हैं। हमें विश्वास है कि पाठक समाज में ‘कविता और संवेदना’ का उत्साहपूर्वक स्वागत होगा।
Additional information
Weight | 230 g |
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Dimensions | 14 × 21,5 × 1,5 cm |
Book Binding | Hard Cover, Paper Back |
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