Mahabhishag

$2$5

Author: BHAGWAN SINGH
Pages: 207
Language: HINDI
Year: 2014
Binding: Both

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Description

मेरे गुरुवर पालि साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान डॉ. भरत सिंह उपाध्याय आज जीवित होते तो ‘महाभिषग’ उपन्यास को पढ़कर इसका नया पाठ-विमर्श करते और चित्त से खिल गए होते । वे नहीं हैं पर आप तो हैं। इस उपन्यास का सांस्कृतिक परिवेश न केवल मोहक है बल्कि आँखें खोलनेवाला है। * महाभिषग’ उपन्यास की सांस्कृतिक संवेदना का बोध आपको उस समय समाज-संस्कृति-इतिहास की पूँजो-अनुगूंजों से साक्षात्कार कराएगा। संस्कृति, समाज, युग परिवेश पर संस्कृति चिंतक कथाकार भगवान सिंह जी की मजबूत पकड रही है। वे अतीत से वर्तमान का संवाद कराने में सक्षम कथाकार हैं। अतीत की वर्तमानता निरंतरता का बोध उनकी कृति कला का अंग रहा है। अश्वघोष हों या आचार्य पुण्ययश, सभी की भाषा संवेदना में युग की मोहक ध्वनियाँ हैं। कहना होगा कि इस उपन्यास की अंतर्यात्रा का अपना बौद्धिक सुख है। यह सुख बौद्ध-धर्म-दर्शन के दो पैंट पा जाने से कम नहीं हैं।

मैं भगवान सिंह जी के इस उपन्यास को पाठक समाज को सौंपते हुए अपार हर्ष का अनुभव कर रहा हूँ। मुझे विश्वास है कि हिंदी के प्रबुद्ध समाज में इस उपन्यास का स्वागत होगा।

Additional information

Weight 235 g
Dimensions 13,5 × 21,3 × 1,3 cm
Book Binding

Hard Cover, Paper Back

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