Pashu Panchhi Manushya Aur Prakriti (Kathayen Mahabharat Se)

$5$10

Author: KAVITA A. SHARMA
Pages: 276
Language: Hindi
Year: 2018
Binding: Hard Bond

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Description

महाभारत की कथाओं पर आधारित डॉ. कविता ए. शर्मा की अंग्रेजी पुस्तक Birds, Beasts, ntdn and Nature : Tales forna Mahabharata का हिंदी भाषांतर तैयार कर प्रकाशित करना ‘सस्ता साहित्य मण्डल प्रकाशन के लिए विशेष हर्ष का विषय है। मनुष्य और चराचर जगत-जीव-जंतु एवं प्रकृति के बीच सह-अस्तित्व और साहचर्य भारतीय जीवन-दृष्टि और परंपरा की विशिष्टता रही है। पश्चिम की दृष्टि जहाँ प्रकृति पर विजय पाने और उसे अपने सुख के लिए इस्तेमाल करने, बेझिझक उसका विनाश करने की रही है, वहीं भारतीय दृष्टि प्रकृति को अपने से अभिन्न मानते हुए उसके साहचर्य में जीते हुए उससे सीखने का अवसर निकाल कर अपने को सुधारने-सँवारने की। भारतीय साहित्य-संस्कृति-परंपरा के इस पक्ष को पहचानते हुए डॉ. कविता ए. शर्मा ने महाभारत के बृहत् पाठ से पशुपक्षियों, जीव-जंतुओं और चराचर प्रकृति के बीच आवाजाही की कथाओं को चुनकर तर्कसंगत विश्लेषण के साथ प्रस्तुत किया है। इस प्रक्रिया में उन्होंने लोककथा और आख्यान परंपरा की दृष्टि से भी इन कथाओं पर विचार किया है। महाभारत की कथाओं में प्रकृति, प्राणि-जगत और मनुष्य की अभिन्नता की भारतीय परिकल्पना को सामने लाती यह पुस्तक आधुनिक पाठक के लिए रोचक और ज्ञानवर्धक तो है ही, पर्यावरणीय असंतुलन के प्रश्नों से जूझते आज के समय में इस तथ्य को भी स्थापित करती है कि प्रकृति और मानवेतर जगत मनुष्य की जरूरतों की पूर्ति का साधन मात्र नहीं। भारतीय परंपरा में मनुष्य अपनी विकास यात्रा में उससे बहुत कुछ जानता-सीखता रहा है; अपने बौद्धिक-भावनात्मक संतुलन और उन्नयन का, अपने चित्त के समाहार का आधार पाता रहा है।

प्रकृति से सीखने-जानने, उसके साहचर्य में तृप्ति पाने की इस भारतीय-कहना चाहिए पूर्व की-मानसिकता ने पश्चिमी लेखकों को बार-बार आकृष्ट किया है, कभी अभिज्ञान शाकुंतलम् के प्रति विलियम जोन्स और गेटे तो कभी वड्र्सवर्थ और अन्य रोमांटिक कवियों के प्रकृति के प्रति रुझान के रूप में या फिर येट्स और एज़रा पांउड के जापानी नोह नाटक के प्रति रुझान के रूप में।

महाभारत को पिछली सदी में आधुनिक संवेदना के परिप्रेक्ष्य में विभिन्न भाषाओं, विधाओं, माध्यमों में बार-बार पुनर्व्याख्यायित किया जाता रहा है। ‘कुरुक्षेत्र’ अथवा ‘अंधा युग’ जैसी कृतियों के प्रकाशन या नाट्यमंचन, पीटर ब्रुक्स द्वारा महाभारत की नाट्य प्रस्तुति या इलैक्ट्रॉनिक माध्यमों के पर्दे पर प्रसारित होकर यह लगातार दर्शक का ध्यानाकृष्ट करता रहा है। लेकिन इन सबके केंद्र में कौरव-पांडवों की युद्धकथा ही रही है जो पिछली सदी के दो विश्वयुद्धों की पृष्ठभूमि में और अधिक गहन, क्रूर, भयानक त्रासदी के रूप में उभरकर आई है। इन सब से अलग हटकर कविता ए. शर्मा की दृष्टि वन्य जीवन से जुड़ी महाभारत की कथाओं द्वारा मानवेतर जगत के माध्यम से गहन मानवीय स्थितियों कीगहनतम अनुभूतियों, तीव्रतम आकांक्षाओं, भयानक लिप्साओं, कुटिलताओं, छल-कपट-विद्वेष, असहनीय जीवन स्थितियों से गुजरते हुए घोर पराजयनिराशा और अवसाद के बीच, अनीति और अनाचार के बीच मानवीय आस्था और दृढ़ता को कायम रखने के सूत्र खोजने की रही है। सद् और असद् के बीच बारीक अंतर, अवश्यंभावी नियति, दार्शनिक सत्य, नीति, ज्ञान, राजनीति, व्यवहार बुद्धि संबंधी गहन चिंतन को जीव-जंतुओं, पशुपक्षियों, वृक्षों के माध्यम से उद्घाटित करना भारतीय आख्यान परंपरा की विशिष्टता है जिसकी चरम परिणति ‘पंचतंत्र’ में हुई है।

Additional information

Weight 452 g
Dimensions 14,5 × 22,2 × 2,2 cm
Book Binding

Hard Cover, Paper Back

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