Pita Ke Patra Putri Ke Nam

$2$5

Author: KRISHNA DUTT PALIWAL
Pages: 123
Language: Hindi
Year: 2019 (PB), 2017 (HB)
Binding: Both

Clear
View cart

Description

पंडित जवाहरलाल नेहरू–भारत के प्रथम प्रधानमंत्री-बीसवीं शताब्दी के प्रमुख नायकों में से हैं। वह हमारे स्वाधीनता संग्राम की विशेष शक्तियों के प्रतीक-पुरुष हैं-जिन्होंने हमारे युग को नया रूप देने में अविस्मरणीय ऐतिहासिक भूमिका अदा की है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू की शिक्षा ब्रिटेन में हुई थी और उन्होंने विश्व-इतिहास का मनोयोग से अध्ययन किया था। इतिहास के अध्ययन एवं साम्राज्यवादी लूटतंत्र की पीड़ा ने उन्हें भारत की आजादी के आंदोलन में कर्मठ देशभक्त के रूप में सामने किया। आजादी के आंदोलन के दिनों में जेल तथा उससे बाहर लिखे उनके पत्र उनकी गहन विवेक-वयस्कता, स्वाधीन-चिंतन और चिंतन की स्वाधीनता, दृष्टि की वैज्ञानिकता एवं अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रति जागरूकता का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं। नेहरू जी ने अपनी पुत्री श्रीमती इंदिरा नेहरू को जो पत्र लिखे हैं, उनमें एक पिता का उच्छलित हृदय है और बेटी को अच्छी से अच्छी राह पर चलाने की शिक्षा का एक गौरवमय इतिहास है। पराधीनता देने वाला साम्राज्यवाद भारत के लिए अभिशाप है, उससे देश को मुक्ति मिलनी ही चाहिए। गरीबी, अशिक्षा, अज्ञान ने भारत को भीतर से अशक्त कर दिया है, जबकि इस देश की परंपराएँ महान रही हैं। यही सोचकर देश की समस्याओं-चिंताओं से जुड़ने की प्रेरणा वे अपनी बेटी को बार-बार पत्रों में देते हैं। नेहरू जी का मानवतावाद, देशभक्तिवाद इन पत्रों में शत-शत रूपों में नर्मदा की अजस्त्र धाराओं की तरह प्रवाहित है। जेल में नेहरू जी ने ज्यादा समय पूर्व और पश्चिम की विचारधाराओं-सिद्धांतों, दर्शनों को पढ़ने-समझने में लगाया था, वह समझ भी पूरे सार-सर्वस्व के साथ इन पत्रों में मौजूद है। तीसरे विश्व की मानवता को जगाने में नेहरू जी का समाजवाद, लोकतंत्रवाद सदैव आगे रहा है। इस दृष्टि से पुत्री इंदु को लिखे गए उनके पत्र एक ‘पाठ’ हैं, जिन पर नयी पीढ़ी को नया विमर्श करना चाहिए।

जवाहरलाल नेहरू स्मारक निधि एवं सस्ता साहित्य मण्डल के सहयोग से जवाहरलाल नेहरू वाङ्मय का ग्यारह खंडों में प्रकाशन हो चुका है। इन मूल्यवान पत्रों को उन्हीं खंडों के भीतर से बीन-बटोरकर यहाँ संकलित कर दिया गया है। इस कार्य की प्रेरणा डॉ. कर्ण सिंह जी से मिली है, जिनका स्नेह मेरी शक्ति रहा है।

मुझे विश्वास है कि उत्तर-आधुनिक त्रासदी समय में जबकि पत्र लिखना हम भूलते जा रहे हैं-इन पत्रों का प्रकाशन नयी पीढ़ी में एक नयी प्रेरणा एवं उत्साह पैदा करेगा। आशा है कि इन पत्रों का पाठक-समाज में बड़े सम्मान में स्वागत होगा।

Additional information

Weight 150 g
Dimensions 14,3 × 21,5 × 1,2 cm
Book Binding

Hard Cover, Paper Back

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Pita Ke Patra Putri Ke Nam”