भारतीय तथा विश्व-साहित्य के कई श्रेष्ठ उपन्यासों का अनुवाद ‘मण्डल’ करता आ रहा है। इस उपन्यास के लेखक तुर्गनेव सं हिंदी के पाठक भलीभांति परिचित हैं। उनकी बहुत-सी कहानियों और उपन्यासों के अनुवाद हिंदी में ही नहीं, अन्य भारतीय भाषाओं में भी हुए हैं। प्रस्तुत उपन्यास तुर्गनेव की बड़ी मार्मिक रचना है। यह पत्रों के रूप में लिखी गई है। पाठक ज्यों-ज्यों इन पत्रों को पढ़ता जाता है, उसकी रुचि बढ़ती जाती है और अंत में तो उसे ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है, जिसमें एक और व्यथा है तो दूसरी और सहानुभूति। उपन्यास के मुख्य पात्रों के साथ पाठक गहरी आत्मीयता अनुभव करता है।
Prem Prapanch
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Author: TURGNEV
ISBN: 978-81-7309-371-5
Pages: 109
Language: HINDI
Year: 2009
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Weight | 85 g |
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Dimensions | 18 × 11,8 × 0,4 cm |
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