Sant Sudhasaar (HB)
$6
Author: VIYOGI HARI
ISBN: 81-7309-105-6
Pages: 776
Language: Hindi
Year: 2013
Binding: Paper Cover
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Description
‘मण्डल’ ने अबतक जितना साहित्य प्रकाशित किया है, वह मूल्य-परक है। उसका स्पर्श मानव-जीवन के सभी प्रमुख पहलुओं से तो होता ही है, साथ ही मानव-चेतना भी उससे प्रबुद्ध होती है। इस दृष्टि से जहां ‘मण्डल’ ने राजनैतिक, ऐतिहासिक, सामाजिक तथा आर्थिक साहित्य निकाला है, वहां उसने बहुत-सी ऐसी पुस्तकों का भी प्रकाशन किया है, जो पाठकों की आध्यात्मिक क्षुधा को शांत कर सके।
हमें हर्ष है कि उसी श्रृंखला में पाठकों को प्रस्तुत विशद ग्रंथ उपलब्ध हो रहा है। इस ग्रंथ में प्रमुख भारतीय संतों की वाणियां संकलित हैं। यह कार्य किया है। संत-साहित्य के विख्यात मर्मज्ञ श्री वियोगी हरि ने, जिन्होंने न केवल संतों के साहित्य का मनोयोगपूर्वक अध्ययन किया था, अपितु उसकी मूल भावना में डुबकी लगाकर उसके मर्म को भी समझा था।
संतों की वाणियां वैसे ही बड़ी बोधगम्य होती हैं, किन्तु इस ग्रंथ में यदि कहीं कठिन शब्दावली आई है तो संकलन-कर्ता तथा संपादक ने उनका सरल भाषा में अर्थ देकर सामान्य पाठकों के लिए ग्रंथ को सुबोध तथा उपयोगी बना दिया है।
यह ग्रंथ आज से लगभग अर्धशती पूर्व प्रकाशित हुआ था। उस समय कागज, छपाई, बाइंडिंग आदि बहुत सस्ते थे, इसलिए इसका मूल्य बहुत कम रखा था।
ग्रंथ का पहला संस्करण समाप्त हो जाने पर उसकी मांग बराबर होती रही, लेकिन उस समय पुनर्मुद्रण की सुविधा नहीं हो सकी। जब सुविधा हुई तो महंगाई का दौर आरंभ हो चुका था। पाठकों के बार-बार आग्रह करने पर भी इतने बड़े ग्रंथ को लोक-सुलभ मूल्य में निकालना संभव नहीं था। शायद अब भी संभव नहीं होता, यदि सत्साहित्य के अनन्य प्रेमी श्री बिशन शंकर तथा श्री राजेन्द्र कुमार अग्रवाल ने आर्थिक सहयोग प्राप्त करके और कुछ स्वयं सहायता देकर इस दिशा में पहल न की होती। उनके आग्रह से ही ग्रंथ का मूल्य इतना कम रखा जा सका है कि सामान्य हैसियत के पाठक भी इसे खरीद सकें। हम इन सब बंधुओं, विशेषकर सर्वश्री बिशन शंकर तथा राजेन्द्र कुमार के हृदय से आभारी हैं। अब इसकी बढ़ती हुई मांग एवं पाठकों के अनुरोध पर तीसरा संस्करण उपलब्ध हो रहा है।
Additional information
Weight | 925 g |
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Dimensions | 22,5 × 14,5 × 6 cm |
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