डॉ. हरिकृष्ण देवसरे हिंदी साहित्य के उन चंद लेखकों में से हैं जिन्होंने हिंदी के बाल-साहित्य को हिंदी से बाहर जाकर विस्तारित किया है। बाल-साहित्य पर काम करनेवाले पाठक या शोधार्थी निस्संदेह डॉ. देवसरे की इस ऐतिहासिक दाय से भलीभांति परिचित हैं। डॉ. देवसरे की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उन्होंने हिंदी बाल-साहित्य को परियों और भूतों की दुनिया से निकालकर विज्ञान के क्षेत्र में पहुँचा दिया। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय संस्कृति, सभ्यता और नैतिकता को बालसाहित्य में समाविष्ट किया जिससे कि बच्चों का शारीरिक विकास के साथ-साथ नैतिक और मानसिक विकास हो सके।
हमारे लिए यह खुशी की बात है कि हरिकृष्ण देवसरे जी ‘सस्ता साहित्य मंडल से जुड़ रहे हैं। उनकी लगभग दर्जनभर पुस्तकें हम प्रकाशित करने जा रहे हैं। इस क्रम में यहाँ प्रस्तुत है विज्ञान कथा’ लूशिएन का रहस्य’ । ठहरिए, यह मत सोचिएगा कि यह पुस्तक सिर्फ बच्चों के लिए है, इसमें हर उम्र और हर वर्ग के पाठकों को उसी प्रकार का रोमांच, आनंद और ज्ञान प्राप्त होगा। निस्संदेह लूशिएन और उसके रहस्य के बारे में जानने के उत्सुक आप पाठक भी होंगे। प्रो. सुधीर के प्रिय लूशिएन के साथ आप भी एक नए ग्रह की यात्रा के लिए तैयार हो जाइए।
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