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रूस के महान् लेखक और चिंतक महर्षि टाल्स्टाय का बहुत-सा साहित्य मण्डल से निकला है। यह साहित्य पाठकों को बहुत पसंद आया है। उसे पढ़कर विचारेां के लिए बड़ी स्वस्थ सामग्री मिलती है। प्रस्तुत पुस्तक में लेखक के वे नाटक दिए गए हैं, जो उन्होंने बालकों के लिए अपने जीवन के अंतिम दिनों में लिखे थे। बालकों के मानस को समझकर उन पर प्रयोग करने के विचार से उन्होंने इनकी रचना की थी। यद्यपि रूस के बालकों की और हमारे यहां के बालकों की शिखा के स्तर में बड़ा अंतर है, फिर भी इस संग्रह के नाटकों में बहुत-सी ऐसी सामग्री है, जो बालकों ओर उनके अभिभावकों, दोनों को लाभदायक सिद्ध हेागी। जिस दृष्टिकोण से ये नाटक् लिखे गए हैं, उसे समझकर बालकों के मनोविज्ञान का हम अध्ययन कर सकेंगे।
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