Aatm Katha: Rajedra Prasad (Sankshipt)

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Author: ONKAR SARAT
ISBN: 978-81-7309-817-8

Pages: 268
Language: Hindi
Year: 2015

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Book Description

श्रद्धेय राजेंद्र बाबू हमारे देश की उन महान विभूतियों में से थे, जिन्होंने न केवल भारतीय स्वातंत्र्य-संग्राम में सक्रिय भाग लिया, अपितु स्वतंत्रता मिलने के बाद देश के नव-निर्माण में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी आत्मकथा, जो सन् 1947 में प्रकाशित हुई थी, उनके उच्च व्यक्तित्व तथा चिर-स्मरणीय सेवा-कार्यों पर अच्छा प्रकाश डालती है। साथ ही देशभक्ति एवं नीतिमय सादा जीवन के महत्त्व को भी बताती है।

उनकी आत्मकथा के इस संक्षिप्त संस्करण को प्रकाशित करते हुए हमें बड़ी प्रसन्नता हो रही है। इसे संक्षिप्त करने में इस बात का ध्यान रखा गया है कि उनके जीवन के क्रमिक विकास का सिलसिला बना रहे और पुस्तक की रोचकता एवं सरसता में अंतर न आने पाए।

राजेंद्र बाबू का जीवन सेवा, सादगी तथा कर्मठता का उच्च दृष्टांत है। उन्होंने आजादी के सभी आंदोलनों में भाग लिया, कांग्रेस के अध्यक्ष बने और देश के स्वतंत्र होने पर संविधान-सभा के अध्यक्ष आदि पदों पर कार्य करके राष्ट्रपति के पद पर आसीन हुए। उनकी आत्मकथा शिक्षा देती है कि जो नि:स्वार्थ भाव से सेवा करता है, वही उच्चतम पद का अधिकारी होता है।

हमें पूरा विश्वास है कि इस पुस्तक को जो भी पढ़ेगा, उसी को लाभ होगा। हम विशेष रूप से अपनी नई पीढ़ी-छात्र-छात्राओं से अनुरोध करते हैं कि वे इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें, क्योंकि इससे उन्हें अपने भावी जीवन को सही साँचे में ढालने और समाज एवं देश के प्रति अपने कर्तव्य को समझने तथा उसका पालन करने की प्रेरणा मिलेगी। इसमें जीवनी, शिक्षा, इतिहास, साहित्य आदि कलाओं का बड़ा सुंदर समावेश हुआ है।

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