प्रकाशकीय
पिछले कुछ समय से दुनिया एक अभूतपूर्व महामारी से जूझ रही है। कोविड-19 अथवा कोरोना ने मनुष्य के हौसले पस्त कर दिए हैं, तन-मन-धन, विचार और व्यवहार को झकझोर कर रख दिया है। पिछले वर्ष मनुष्य इसका भयानक प्रकोप झेल चुकने के बाद थोड़ी राहत महसूस कर रहा था कि कोरोना की दूसरी लहर आ गई जो पहले से ज्यादा जबरदस्त और भयानक थी जिसने सारी व्यवस्था को तहस-नहस कर डाला। और अब तीसरी लहर का खतरा सिर पर मँडरा रहा है। कोरोना से बचाव के लिए जिस तरह की सावधानी बरती जानी चाहिए उसके प्रति लोग गंभीर नहीं हैं कुछ लापरवाही के कारण और कुछ अज्ञान के कारण। ऐसे समय में डॉ. प्रेमचंद्र स्वर्णकार ने कोरोना संबंधी यह पुस्तक तैयार कर एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक दायित्व निभाया है। इस पुस्तक में कोरोना रोग के स्वरूप, स्वभाव, विस्तार, जटिलताओं, बचाव और इलाज विषयक विभिन्न प्रकार की जानकारी उपलब्ध कराई गई है। महामारियों का प्रकोप प्राचीन काल से मनुष्य को
आक्रांत करता रहा है इस तथ्य से पाठक को अवगत कराते हुए लेखक ने कोरोना के इलाज और बचाव के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला है।
मानव शरीर के रोग प्रतिरक्षा तंत्र और कोरोना संबंधी तथ्यों की विभिन्न कोणों से की गई यह प्रस्तुति पाठक को सचेत करेगी और महामारी से स्वयं अपने और दूसरों के बचाव के लिए प्रेरित करेगी ऐसा हमें विश्वास है।
– सचिव
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