Dakshin Aafrica Key Satyagrah Ka Itihas
$4 – $6
ISBN: 978-81-7309-3
Pages: 320
Edition: Fifth
Language: Hindi
Year: 2011
Binding: Paper Back
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Description
भारत को गांधीजी की अनेक देनों में से ‘सत्याग्रह’ उनकी एक विशेष देन है। इस शब्द का आविष्कार दक्षिण अफ्रीका में हिंदुस्तानियों के मान-मर्यादा और मानवोचित अधिकारों के लिए किए गए संग्राम के दिनों में हुआ था और वहीं पर सबसे पहले राजनीति के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर इसका प्रयोग किया गया था।
दक्षिण अफ्रीका की इस लड़ाई को हुए यद्यपि एक युग बीत चुका है, तथापि उसके अनुभव, उसकी शिक्षा, उसके निष्कर्ष आज भी ताजे हैं। इसी पुस्तक के दूसरे खंड की प्रस्तावना में गांधीजी ने लिखा है-“मैं इस बात को अक्षरश: सत्य मानता हूं कि सत्य का पालन करने वाले के सामने संपूर्ण जगत की समृद्धि रहती है और वह ईश्वर का साक्षात्कार करता है। अहिंसा के सान्निध्य में वैर-भाव टिक नहीं सकता, इस वचन को भी अक्षरशः सत्य मानता हूँ। कष्ट सहन करनेवालों के लिए कुछ भी अशक्य नहीं होता, इस सूत्र का में उपासक हूँ।…” जीवन की कठोरतम साधना से उद्भूत ये मूल-मंत्र इतने वर्षों बाद आज भी ताजे हैं और हमेशा ताजे रहेंगे।
दक्षिण अफ्रीका में आने के बाद भारत में गांधीजी ने जो लड़ाइयां लड़ीं, उन्हें गहराई से समझने के लिए दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास जानना आवश्यक है; कारण है कि जिन मूलभूत सिद्धांतों पर बाद की लड़ाइयां लड़ी गई, उनका मूल सूत्र दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह में मिलता है।
Additional information
Weight | 350 g |
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Dimensions | 14 × 21,7 × 1,3 cm |
Book Binding | Hard Cover, Paper Back |
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