विश्व इतिहास की झलक 2
इस पुस्तक में नेहरूजी के विभिन्न जेलों से अपनी पुत्री इंदिरा प्रियदर्शनी के नाम लिखे पत्रों का संग्रह है। इन पत्रों में विद्वान लेखक ने दुनिया के इतिहास और साम्राज्यों के उत्थान एवं पतन की कहानी बड़ी ख़त्री के साथ लिखी है। उन्होंने बहुत दिन पहले कुछ पत्र इंदिरा के नाम लिखे थे, जो ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम से सन 1921 में प्रकाशित हुए। उन पत्रों में सृष्टि के आरंभ से प्राणी की उत्पत्ति और इतिहास-काल के आरंभ तक का हाल था। ‘झलक’ की कहानी उसके बाद शुरू होती है। दोनों पुस्तकें एक-दूसरे की पूरक हैं, फिर भी अपने-आप में स्वतंत्र हैं।
अंग्रेज़ी पुस्तक के नए संस्करण के अंत में लेखक ने जो उपोद्घात तथा नई टिप्पणियाँ जोड़ी थीं वे इस पुस्तक के दूसरे संस्करण में बढ़ा दी गई थीं। अंत में निर्देशिका भी दे दी गई है।
प्रस्तुत संस्करण में सारे ग्रंथ की भाषा में फिर से संशोधन करके उसे अधिक प्रवाहपूर्ण बना दिया गया है। साथ ही लगभग पचास नक्शे इस पुस्तक में दे दिए गए हैं, जिससे विषय के समझने में सुगमता होती है।
नेहरूजी की यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण कृति है। इसमें उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति तथा इतिहास के गहरे ज्ञान का मानो सागर भर दिया है।पुस्तक का यह नया संस्करण है। हम आशा करते हैं कि इस संस्करण का भी पूर्ववत् स्वागत होगा।
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.