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पथ का आलोक
यशपाल जैन
मूल्य: 40.00 रुपए
इस माला में बड़ी सरल-सुबोध भाषा में भारत की आत्मा की झांकी दिखाने का प्रयत्न किया गया है। भारत संतों, विद्वानों, वीरों, पर्वतों, तीर्थों, नदियों, वनों आदि-आदि का देश है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से लेकर पश्चिम तक संस्कृति की ऐसी धारा प्रवाहित होती है, जो सारे देश को एक और अखंड बनाती हैं। भारत में अनके धर्म हैं, अनेक भाषाएं हैं, नाना प्रकार के अचार-विचार हैं, लेकिन फिर भी अनेकता के बीच एकता दिखाई देती है। इसका कारण यह है कि हमारे संतों और महापुरुषों ने कभी मनुष्य के बाहरी भेदों पर जोर नहीं दिया। उन्होंने इंसान को इंसान के रूप में देखा। हमारे तीर्थ, पर्वत, नदियां आदि किसी धर्म-विशेष के नहीं हैं, सबके हैं। पुस्तकों की भाषा इतनी आसान है कि कम पढ़े-लिखे पाठक भी इन्हें अच्छी तरह पढ़ और समझ सकते हैं। प्रत्येक पुस्तक में कई-कई चित्र भी दिए गए हैं।
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