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Description
यशपाल जैन की पुस्तकों की लोकप्रियता इस बात से प्रमाणित होती है कि उनमें से अधिकांश पुस्तकों के कई-कई संस्करण हो चुके हैं। कुछ पुस्तकों के भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी हुए हैं। वस्तुतः इस उपन्यास में लेखक की कल्पना की उड़ान नहीं है। लेखक के पैर देश की धरती पर जमे हैं। जहां कहीं उन्होंने कल्पना-शक्ति को उड़ान भरने को छूट दी है, वहां भी अपने पैर धरती से उखड़ने नहीं दिए हैं। लेखक अपनी इस कृति को अधिकाधिक सरस तथा रोचक बना सकते थे, लेकिन ऐसा शायद उन्होंने जान-बूझ कर नहीं किया। वह इसे समस्या-मूलक बनाना चाहते थे। अतः इसके ताने-बाने को उन्होंने समस्याओं तक ही सीमित रखा है।
Additional information
Weight | 278 g |
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Dimensions | 18.3 × 12 × 1.4 cm |
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