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अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के जिन लेखकों की चुनी हुई पुस्तकें ‘मण्डल’ से प्रकाशित हुई हैं, उनमें स्टीफेन ज्विग का नाम प्रमुख है। उनकी ‘भाग्य की विडम्बना’ और ‘जिंदगी दांव पर’ तो बहुत ही लोकप्रिय हुई हैं। ‘विराट’ का तो कहना ही क्या! यह पुस्तक प्रकाशित होते ही पूरी खप गई थी। अगला संस्करण भी तत्काल हो गया था, लेकिन फिर पुनर्मुद्रण की सुविधा जल्दी नहीं हो सकी। पाठक बराबर मांग करते रहे और अब भी उसकी मांग यथावत बनी हुई है। विदेशी लेखकों के इस प्रकार के उपन्यास कम ही मिलते हैं। इस पुस्तक का कथानक गीता के ‘निष्कर्म कर्म’ पर आधारित है। कथानक का ताना-बाना भी हमारे देश की भूमि को लेकर बुना गया है। उपन्यास को पढ़ते समय ऐसा जान पड़ता है, मानो हम भारतीय जीवन की ही कोई कहानी पढ़ रहे हैं।
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