Bharat Aazadi Aur Sanskriti (HB)

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ISBN: 978-81-7309-3
Pages: 152
Edition: Fifth
Language: Hindi
Year: 2008
Binding: Hard Bound

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Book Description

भारत के प्रसिद्ध संविधान विशेषज्ञ, लेखक, कवि, सम्पादक, भाषाविद् और साहित्यकार डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी के निबन्धों के इस संकलन में प्रकाशित निबन्धों की अनन्यता, वैचारिक गहराई, ज्ञान का अपार विस्तार, विश्लेषण की बारीकी और तटस्थ दृष्टि से नाना विषयों का विवेचन उनके भारत मन से हमारा परिचय कराता है। उनके शब्दों में भारत ही उनकी प्रेरणा का स्रोत रहा है।

डॉ. सिंघवी के इन लेखों में हमारी विरासत की अवहेलना की चिन्ता है। आजादी के बाद भी गिरावट को रोकने के लिए साहित्य की भूमिका का उल्लेख है। हिन्दी को हिन्दी राजनीति के चक्रव्यूह से निकालने के उपाय हैं। हिन्दी एवं अप्रवासी भारतवंशी समाज के आन्तरिक सम्बन्ध की सही तस्वीर है।

डॉ. सिंघवी भारत की राष्ट्रीय एकता को हमारी सुरक्षा और समृद्धि के लिए आवश्यक मानते हैं। भाषा, साहित्य, संस्कृति, सभ्यता को हमारी अस्मिता की पहचान के रूप में स्वीकृति देते हैं। आजादी के साठ वर्षों की हमारी साझी एकता के सपने की सस्पन्दना का उल्लेख करते हैं। इन निबन्धों में ज्ञान की विद्युतछटा हमें चकाचौंध करती है और साथ ही एक स्थितप्रज्ञ के भारत-विषयक अद्भुत वैचारिक वैविध्यवाद की गहराई में जाने का निमंत्रण हमें अभिभूत करता है।

पुनः पुनः पढ़ने योग्य डॉ. सिंघवी के निबन्धों का यह एक ऐसा संकलन है, जो ज्ञान के क्षितिज की अपरिसीम विस्तृति से हमें जोड़ता है।

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