गांधी संचयन जीवन के विविध पक्षों—समाज, धर्म, दर्शन, आर्थिक संरचना, राजनीति, भाषा, पर्यावरण, पत्रकारिता संबंधी गांधी के विचारों का संक्षिप्त संग्रह है जिसे गांधी के लेखन और पत्रकारिता के भीतर से मनोयोगपूर्वक तैयार किया गया है।
आज जिस हिंसा, आतंक एवं उपभोक्तावाद की होड़ के वातावरण में हम जी रहे हैं वहाँ सर्वाधिक कमी है चैन और शांति की। ऐसे में गांधी और ज्यादा प्रासंगिक नजर आते हैं। हालाँकि सच्चाई यह है कि गांधी को हम अपने जीवन से लगातार बाहर निकालते रहे हैं यह मानकर कि वे गए-गुजरे जमाने में प्रासंगिक थे। लेकिन परंपरा, नैतिकता, वैज्ञानिक दृष्टि, अनुभव की कसौटी पर खरे, लोकमंगल की भावना से प्रेरित गांधी के विचारों से बेहतर कोई विकल्प भी हम खोज नहीं पाए हैं। गांधी का चिंतन आज भी हमारे लिए प्रकाश-पुंज है।
प्रो. गिरीश्वर मिश्र की प्रेरणा और श्री डी.एन. प्रसाद के सहयोग से तैयार किया गया यह गांधी संचयन पाठकों को मौजूदा समय के अनेकअनेक सवालों के समाधान तक पहुँचने में सहायक होगा इस विश्वास के साथ ‘सस्ता साहित्य मण्डल प्रकाशन’ गांधी संचयन का प्रकाशन कर गौरव का अनुभव कर रहा है।
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