Upanishad Navneet (PB)

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Author: MITHILESH CHATURVEDI
ISBN: 978-81-7309-970-0
Pages: 104
Edition: 2nd
Language: Hindi
Year: 2020
Binding: Paper back

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Book Description

‘उपनिषद्’ का मूल अर्थ है गुरु के निकट बैठकर अध्यात्म तत्व का सम्यक ज्ञान प्राप्त करना। विद्वान मानते हैं कि पूरी दुनिया में ऐसा कोई ग्रन्थ नहीं जिसमें मानव जीवन को इतना ऊँचा उठाने की वैसी क्षमता हो जैसी उपनिषदों में है। इनमें मनुष्य की चिरंतन जिज्ञासाओं का समाधान है। उपनिषदों को ‘वेदान्त’ और ‘श्रुति’ भी कहा गया है। परमतत्व ब्रह्म में साधक को स्थिर करने वाले ज्ञान का निरूपण उपनिषदों में अत्यन्त सुंदर ढंग से किया गया है। भारतीय तत्व-दर्शन का आधार हैं उपनिषद् । आचार्यों ने उपनिषदों के भाष्य किए। अद्वैतवाद, विशिष्टाद्वैतवाद, द्वैताद्वैतवाद, शुद्धाद्वैतवाद सिद्धांतों का प्रतिपादन इन वेदान्त सिद्धांतों से किया। भारतीय परम्परा को, भारतीय मानस को, सामूहिक चिंतन को गढ़ने में इन्हीं के संस्कार सक्रिय रहे हैं।

आज का भारतीय जन दुनिया भर के बारे में बहुत कुछ जानता है। किन्तु अपनी परंपरा के बारे में लगभग बेखबर-सा है। शोपेनहर, मैक्समूलर, फ्रेड्रिक श्लेगल, कजेंस, हैक्स्ले जैसे पश्चिम के शीर्षस्थ विद्वान जिस ज्ञान का लोहा मानते रहे हैं उसके प्रति आज का सामान्य भारतीय मानस अचेत है।

‘सस्ता साहित्य मण्डल प्रकाशन’ के विशेष आग्रह पर प्रोफेसर मिथिलेश चतुर्वेदी ने यह ‘उपनिषद्-नवनीत’ तैयार करके दी है। आशा है यह पुस्तक हिंदी पाठकों को भारतीय परंपरा से आत्मसात होने, अपनी जड़ों से जुड़ने, अपनी जातीय स्मृति को समझने और उसे आधुनिक परिदृश्य के परिप्रेक्ष्य से जोड़ पाने का सुदृढ़ अवसर प्रदान करेगी।

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