लोकतंत्र का लक्ष्य
आज विश्व की सभी विचार परंपराएं संकट में हैं। पश्चिमवाद से आवाज उठ रही है कि उत्तर-आधुनिकता के परिवेश में विचारधाराओं का अंत, इतिहास का अंत, कर्ता का अंत हो गया है। विश्वभर में विचार का अंधकार छाया हुआ है। सबसे ज्यादा संकट आज भारतीय संस्कृति, भारतीय स्मृति पर है। भूमडलीकरण, बाजारवाद का अंधड़ सभी मूल्यों को उड़ाए लिए जा रहा है। इस संकट काल में मानव चिंतन की स्वाधीनता की लड़ाई लड़ रही है। पश्चिम में माक्र्स का प्रेत, महाआख्यानों के अंत का प्रेत तथासमानता-स्वतंत्रता, बंधुता की लड़ाई हार चुका है, लेकिन भारतवर्ष अभी भी बौद्ध-जैन-वैश्णव चिंतन परंपराओं को लेकर महात्मा गांधी के द्वारा हमारी परंपरा से प्राप्त लोकतांत्रिक मूल्यों, मानव मूल्यों की रक्षा के द्वार हकारी पंरपरा से प्रापत लोकतांत्रिक मूल्यों, मानव मूल्यों की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध है।
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