रोशनी वाली खिड़की
माधव कौशिक हिंदी के प्रसिद्ध कहानीकार हैं। उनकी कहानियाँ जीवन की नई समस्याओं, चिंताओं को छूती हैं। मानव जीवन का संघर्ष और मानव जीवन के स्वभाव का उनमें सफलतापूर्वक चित्रण किया गया है। चित्र चित्रण की यह सहजता, मानव समाज का तलस्पर्शी विश्लेषण ही उनकी कला का प्राण है। पाठक समाज को ‘रोशनीवाली खिड़की’ हो या ‘सुकरात नहीं मरता’ जैसी कहानी हो, इन कहानियों की संवेदना दूर तक प्रभावित करती है। वे चमत्कारवाद के चक्कर में नहीं पड़ते। इसलिए उनकी कला की ‘वस्तु’ में जीवनानुभव का यथार्थ संसार मिलता है। एक ऐसा संसार जिसे हम रोज भोगते, कोसते एवं रचते हैं। जीवन की कसकती-करकती। अनुभूतियाँ कौशिक जी की कहानी कला को एक नया अर्थ देती हैं। आज उत्तर-आधुनिक समय में उनकी कहानियों का भाव-बोध, ज्ञान बोध एक तरह की ताजगी का अहसास कराता है। सौंदर्य की धारदार अनभूति रखनेवाली प्रतिमा ऊपरी चमक-दमक से आगे बढ़कर मानवीय चेतना के कुछ अधिक सघन प्रदेशों में एकाग्र चित्त से किने की चेष्टा करती है। लेकिन यह चेष्टा पश्चिमी यथार्थवादी कला की अनुभूति न होकर नए यथार्थ की मौलिक ढंग से रचना है। इस संग्रह की सभी कहानियाँ सुख-दुख के गहरे रंगों को मिलाती हैं।
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