संतों को देश-काल की सीमा में नहीं बांधा जा सकता। वे कहीं के हों, कभी भी हुए हों, उनकी वाणी गंगाजल की भांति पवित्र और शीतलता प्रदान करनेवाली होती है। इस पुस्तक में बहुत-से संतों के विचार-रत्नों को संग्रहीत किया है। पाठकों की सुविधा के लिए उनका वर्गीकरण कर दिया गया है। उससे पाठकों को एक-एक विषय पर न केवल एक ही जगह पर उस संबंध की सामग्री मिल जाती है, अपितु विभिन्न संतों के वचनों के तुलनात्मक अध्ययन का भी अवसर मिल जाता है। पुस्तक की सामग्री का वयन संत-साहित्य के मर्मज्ञ श्री वियोगी हरिजी ने किया है। पुस्तक के अनेकानेक संस्करण हो चुके हैं और इसकी मांग लगातार बनी हुई है।
Sant Vani (PB)
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Author: VIYOGI HARI
ISBN: 978-81-7309-179-7
Pages: 184
Language: Hindi
Year: 2017
Binding: Paper Cover
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