Shardiya

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Author: JAGDISHCHANDRA MATHUR
ISBN: 81-7309-027-0
Pages: 104
Language: Hindi
Year: 2002

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Book Description

हिन्दी के पाठक प्रस्तुत पुस्तक के लेखक से भली-भांति परिचित हैं। पिछले २८ वर्षों में उन्होंने अनेक नाटकों की रचना की है और नाटक-साहित्य में अपना विशेष स्थान बना लिया है। उनके कई नाटक आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से प्रसारित हुए और कई सफलतापूर्वक मंच पर खेले गये हैं। उनके नाटकों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे पढ़ने में तो अच्छे लगते ही हैं, मंच पर भी उन्हें बिना किसी खास कठिनाई के खेला जा सकता है।

‘शारदीया’ उनकी नवीन कृति है। इससे पहले उन्होंने उड़ीसा में स्थित ‘कोणार्क’ पर उसी नाम से एक सुन्दर नाटक की रचना की थी। वह कृति बहुत ही लोकप्रिय हुई। प्रस्तुत नाटक की घटना भी उन्होंने इतिहास से ली है और बड़े ही भावपूर्ण ढंग से उसे पाठकों के सामने रखा है। थोड़े-बहुत रंग उन्होंने अपनी ओर से भी भरे हैं, जो स्वाभाविक था; लेकिन उससे नाटक की ऐतिहासिकता में कोई अन्तर नहीं पड़ने पाया है। अपने प्राक्कथन तथा नाटक की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि’ लेख में उन्होंने सारी बात स्वयं स्पष्ट कर दी है। इतना ही नहीं, अखिल भारतीय माध्यम के रूप में हिन्दी नाटक की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने परिशिष्ट में एक बड़ा ही सारगर्भित लेख भी दिया है।

लेखक की अन्य कृतियों की अपेक्षा यह नाटक अधिक महत्त्वपूर्ण है। इसलिए ही नहीं कि इसका कथानक हमारे इतिहास की अत्यन्त मार्मिक घटनाओं पर प्रकाश डालता है, बल्कि इसलिए भी कि इस रचना में अधिक प्रौढ़ता है और जिन विभिन्न रसों की इसमें सृष्टि हुई है, उनका बड़ा ही सुन्दर और सफल परिपाक इसमें हुआ है। | हमें पूर्ण विश्वास है कि यह नाटक हिन्दी-जगत में बड़े चाव से पढ़ा जायेगा और इसका अन्य भाषाओं में भी अनुवाद होगा।

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