Vinoba Key Vichar (PB)

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ISBN: 978-81-7309-1
Pages: 414
Edition: Fifth
Language: Hindi
Year: 2012
Binding: Paper Back

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Book Description

आचार्य विनोबा के नाम और उनके भूदान-आंदोलन से हमारा देश ही नहीं, सारा संसार अब परिचित हो गया है। लेकिन जब वह सन् 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह के प्रथम सत्याग्राही के रूप में देश के सामने आए थे तब उनकी ख्याति महाराष्ट्र और गुजरात के बाहर बहुत कम थी। परंतु विचार इतने प्रौढ़ और इतने परिपक्व थे कि वे पाठकों के लाभार्थ उपस्थित किए जा सकते थे। अतः व्यक्तिगत सत्याग्रह के समय ‘मण्डल’ ने उनके विचारों का पहला भाग प्रकाशित किया। कहने की आवश्यकता नहीं कि उन विचारों की मौलिकता, सात्विकता तथा लोक-कल्याण की भावना ने तत्काल पाठकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। पुस्तक की मांग बढ़ी और अब तक उसके अनके संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं।

सामाजिक क्रान्ति के लिए प्रेरक विचारों की पृष्ठभूमि का होना एक अनिवार्य शर्त है। विनोबा के विचारों में इसी की पूर्ति होती है। विचार चाहे । किसी अवसर पर प्रकट किये गए हों, पर उनका मौलिक और क्रान्तिकारी विवेचन उन्हें प्रसंगातीत बना देता है। इसीलिए विनोबा के विचार कभी पुराने नहीं पड़ते; वे नित नूतन स्फूर्ति के अक्षय स्त्रोत बने रहते हैं। काल की दृष्टि से इसमें संकलित लेख स्वतंत्रता-पूर्व के है, और दो-एक लेख लगभग उस समय के है जब स्वतंत्रता के सूर्य का उदय होने को था। अत: सामाजिक क्रान्ति के संदर्भ में उनमें जिन चेतावनियों का समावेश है, उनका मूल्य अब भी बना हुआ है।

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