भारतीय संस्कृति
इस पुस्तक में भारतीय संस्कृति की शास्त्रीय व्याख्या नहीं है, बल्कि इसमें हमारी संस्कृति की उन मुख्य-मुख्य बातों पर विचार किया गया है, जिनका हमारे जीवन से सीधा सम्बन्ध है। इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि विद्वान् लेखक किसी भी संकुचित सम्प्रदाय, अथवा मान्यता से बँधकर नहीं चले। उन्होंने जिस किसी विषय को लिया है, उस पर स्वतन्त्र बुद्धि से, निर्भीकतापूर्वक, अपने विचार व्यक्त किये हैं। यही कारण है कि यह पुस्तक हमें पर्याप्त विचार-सामग्री देने के साथ-साथ उपयोगी जीवन व्यतीत करने के लिए बड़ी स्फूर्ति और प्रेरणा प्रदान करती है।
पुस्तक की शैली के विषय में कुछ कहना अनावश्यक है। साने गुरुजी मराठी के सुविख्यात लेखक थे। उन्हें भाषा पर बड़ा अधिकार था और उनकी शैली बेजोड़ थी। अनुवाद में यद्यपि मूल का-सा रस आ सकना सम्भव नहीं है, फिर भी उनकी रोचक शैली का आनन्द हिन्दी के पाठकों को मिल सके, ऐसा प्रयत्न किया गया है।
हम चाहते हैं कि भारतीय भाषाओं के उत्तमोत्तम ग्रन्थों का रूपान्तर हिन्दी में प्रकाशित हो, जिससे राष्ट्र भारती का भण्डार समृद्ध साथ ही पाठकों को इस बात की जानकारी हो जाय कि हमारी माषाओं में कितनी मूल्यवान सामग्री विद्यमान है। यह पुस्तक में एक अल्प प्रयत्न है। यह सिलसिला बराबर चलता रहे, कोशिश करेंगे, लेकिन सफलता तब प्राप्त होगी, जब पाठको इसकी हम कोशिश करेंगे, लेकिन स और विद्वानों का सहयोग मिलेगा।
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