भारत सावित्री
हमारे प्राचीन साहित्य में जिन महान् ग्रंथों को असाधारण लोकप्रियता प्राप्त हुई है, उनमें महाभारत का अपना स्थान है। भारत का शायद ही कोई ऐसा शिक्षत और अशिक्षित परिवार हो, जिसमें महाभारत का नाम न पहुंचा हो और जो उसकी महिमा को न जानता हो। रामायण की भांति इस अमर ग्रंथ को भी बड़ा धार्मिक महत्व प्राप्त है और इसकी कथा सर्वत्र बड़े चाव और आदर-भाव से पढ़ी और सुनी जाती है। प्रस्तुत पुस्तक में भारतीय साहित्य के अध्येता तथा चिंतक श्री वासुदेवशरण अग्रवाल ने इस महान् ग्रंथ का एक नीवन एवं सारगर्भित अध्ययन प्रस्तुत किया है। यह अध्ययन वस्तुतः एक नई दृष्टि प्रदान करता है। यह पुस्तक तीन खंडों में प्रस्तुत की गई है। ‘विराट पर्व’ तक की सामग्री पहले खंड में आ गई है। युद्ध के अंत तक का अंश दूसरे खंड में, शेष तीसरे खंड में। इस प्रकार इन तीनों खंडों में संपूर्ण महाभारत का सार पाठकों को मिल जाता है।
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