सत्य और धर्म
यशपाल जैन
मूल्य: 40.00 रुपए
प्रस्तुत पुस्तक माला में मुख्य प्रेरक विचार महात्मा गांधी के एकादश व्रत हैं। ये व्रत जीवनोपयोगी हैं। पहली पुस्तक में हमने गांधीजी के जीवन दर्शन को उजागर किया था। इस पुस्तक में उनके ‘सत्य व्रत’ पर प्रकाश डाला गया है। गांधी जी सत्य को परमेश्वर मानते थे। पुस्तक बड़ी नहीं है, उसमें 56 पृष्ठ हैं। आशा है पाठक इससे लाभान्वित होंगे।
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