सर्वधर्म समभाव
किसी जमाने मे धर्म की बड़ी महिमा थी। जो धर्म का सहारा लेकर चलता था, उसका जीवन धन्य हो जाता था। उस समय धर्म प्रेम का पर्याय था, सद्भाव का प्रतीक था। धर्म के इस रूप को हमारे पुरातन संतों ने उजागर किया और आज के जमाने में उसे सबसे अधिक प्रतिष्ठित किया महात्मा गांधी ने। उन्होंने उसे अपने ग्यारह व्रतों में सम्मिलित किया और उसके पालन का आग्रह किया। प्रस्तुत पुस्तक में पाठकों को इसी विषय पर बड़ी मूल्यवान सामग्री प्राप्त होगी। इसे पढ़कर आपको पता चलेगा कि धर्म जीवन के लिए क्या आवश्यक है और हमें किस धर्म की प्रतिष्ठा करनी चाहिए।
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