Shiksha Ke Sharokar

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Author: PREMPAL SHARMA
ISBN: 978-81-7309-833-8
Pages: 160
Language: HINDI
Year: 2017

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Book Description

भारत में वर्तमान शिक्षा के सरोकार चुनौतीपूर्ण हैं। इन चुनौतियों में शिक्षा के प्रश्नों को लेकर न जाने कितने वैचारिक विवाद समय-समय पर उठते रहे हैं। भारतीय शिक्षा पद्धति का उपनिवेशवादी ढाँचा आजादी के बाद भारतीय नवयुवकों की मौलिकता को निरंतर क्षतिग्रस्त करता रहा है। डॉ. दौलत सिंह कोठारी कमीशन ने शिक्षा के सरोकारों को लेकर दो संकल्प दुहराए थेपहला संकल्प सभी को समान शिक्षा का अवसर तथा दूसरा, अपनी मातृभाषाओं में शिक्षा’। आज यह सोचकर हृदय में पीड़ा होती है कि पचास वर्ष से अधिक समय हो जाने पर भी इन दो संकल्पों के साथ हमारी सरकारें टाल-मटोल करती रही हैं। हमारे दिमागों में औपनिवेशिक गुलामी का आलम यह है कि हम भाषायी क्षेत्र में अंग्रेजी के पिछलग्गू बनकर रह गए हैं। हमें ऐसी राजनीति से आज जूझना पड़ रहा है जो अंग्रेजी का साम्राज्यवाद बनाए रखने में कोई शर्म महसूस नहीं कर रही है। अंग्रेजीदाँ सिरफिरे बुद्धिजीवी अंग्रेजी को संपर्क भाषा के रूप में रखने की लगातार सिफारिश कर रहे हैं। हम भूल रहे हैं कि स्वभाषा, स्वदेश तथा स्वाभिमान की बात भारतीय भाषाओं को ही शिक्षा का माध्यम बनाकर की जा सकती है। स्वभाषा के बगैर स्वाधीनता की बात करना गुनाह है। स्वभाषा ही स्वदेश के लिए जागरूक बेहतर नागरिक उत्पन्न कर सकती है–गुलामी की भाषा नहीं।

‘शिक्षा के सरोकार’ पुस्तक के निबंधों में श्री प्रेमपाल शर्मा जी ने प्रखर बौद्धिक मिजाज से शिक्षा से जुड़ी जटिल समस्याओं-प्रश्नाकुलताओं, विसंगतियों पर गहन विचार किया है। इस पुस्तक के सभी नियं शिक्षा-विमर्श सामने लाते हैं जिनसे प्रबुद्ध नागरिकों को सोचने-समट एक नई दिशा और दृष्टि मिलेगी। मुझे विश्वास है कि प्रेमपाल शर्मा पुस्तक का पाठक-समाज में खुलेमन से जोरदार स्वागत होगा।

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