प्रस्तुत पुस्तक के विद्वान लेखक से हिंदी के पाठक भलीभांति परिचित हैं। उनकी अनके पुस्तकें ‘मण्डल’ से प्रकाशित हुई हैं। सभी पुस्तकों की पाठकों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है। इस पुस्तक में लेखक ने बड़े ही सरल-सुबोध ढंग से बताया है कि वेदांत और उससे विकसित संस्कृति तथा नीतिशास्त्र संयोजित जीवन व्यवस्था का दृढ़ आध्यात्मिक आधार बन सकते हैं। व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता तथा जंगल के न्याय पर आधारित वर्तमान अराजकतापूर्ण जीवन-व्यवस्था के स्थान पर संयोजित व्यवस्था की प्रतिष्ठा अनिवार्य है। राजाजी का कथन है कि जब तक हमारे पास आध्यात्मिक मूल्यों का शास्त्र और अंदर से नियमों का कार्य करनेवाली संस्कृति नहीं होगी तब तक केवल भौतिक संयोजन और बाह्य विघटन का परिणाम भ्रष्टाचार और प्रवंजना के अतिरिक्त और कुछ नहीं होगा।
Vedant (PB)
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Author: CHAKRAVARTI RAJGOPALACHARYA
ISBN: 978-81-7309-975-8
Pages: 56
Language: Hindi
Year: 2018
Binding: Paper Cover
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Weight | 60 g |
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Dimensions | 17,5 × 12 × 0,4 cm |
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