गीता बोध
महात्मा गांधी गीता के परम उपासक थे। उन्होंने उसे ‘माता’ की संज्ञा से विभूषित किया। इस पुस्तक में गांधी जी ने बड़े ही सरल तथा सुबोध ढंग से गीता के मर्म को स्पष्ट किया है। गीता में अठारह अध्याय हैं। गांधी जी ने एक-एक अध्याय को लेकर बड़े रोचक ढंग से, सरल शैली में, प्रत्येक अध्याय के मूलभाव पर प्रकाश डाला है। पढ़ते-पढ़ते ऐसा लगता है, मानो हम कोई बहुत ही प्रेरणादायक पुस्तक पढ़ रहे हैं।
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