गोस्वामी तुलसीदास ने भारत के लोक-जीवन को समृद्ध करने के लिए कितना महत्वपूर्ण योगदान दिया, यह किसी से छिपा नहीं है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से लेकर पश्चिम तक, धनी-निर्धन कदाचित ही कोई घर हो, जिसमें ‘रामचरित मानस’ को आदर प्राप्त न हो। भगवान राम के नाम को और उनकी विमल गाथा को प्रत्येक परिवार में पहुंचाने का बहुत-कुछ श्रेय इस महान ग्रंथ को है। ‘विनय पत्रिका’ का परिवर्द्धित संस्करण पाठक को सुलभ हो रहा है। इसका संपादन और टीका-साहित्य के मर्मज्ञ और हिंदी के विख्यात लेखक श्री वियोगी हरि जी ने की है। तुलसी की प्रतिभा असामान्य थी। एक ओर उन्होंने ‘रामचरित मानस’ की रचना की तो दूसरी ओर ‘विनय पत्रिका’ की, जिसमें भक्ति-रस की ऐसी धारा प्रवाहित है, जिसमें अवगाहन कर सभी बड़ी शीतलता अनुभव करते हैं। ‘विनय पत्रिका’ के सदृश्य भक्तिरस से ओतप्रोत ग्रंथ भारतीय वाड्.मय में शायद ही मिले।
- Description
- Reviews (0)
Reviews
There are no reviews yet.