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प्रस्तुत पुस्तक के विद्वान लेखक से हिंदी के पाठक भलीभांति परिचित हैं। इस पुस्तक में राजाजी की तीन कहानियां संग्रहीत हैं। पहली कहानी में गरीबों की बेबसी का चित्र अंकित किया गया है, दूसरी में शरी सभ्यता की ग्रामीणों पर क्यों प्रतिक्रिया होती है, यह दिखाया गया है और तीसरी में चेचक ओर उसके कारण एक स्त्री के नेत्रहीन हो जाने की करुण कथा है। सभी कहानियां पढ़ने में रोचक हैं और सोचने के लिए बाध्य करती हैं। राजाजी की शैली अत्यंत सरल, सुबोध ओर सरस है। उनकी कोई भी पुस्तक एक बार हाथ में ले लेने पर बिना समाप्त किए छोड़ी नहीं जा सकती।
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