Katha-Saritsagar

RS:

250550

320 People watching this product now!

ISBN: 978-81-7309-4
Pages: 448
Edition: Second
Language: Hindi
Year: 2010
Binding: Paper Back

Fully
Insured

Ships
Nationwide

Over 4 Million
Customers

100%
Indian Made

Century in
Business

Book Description

भारतीय साहित्य में ‘कथा-सरित्सागर’ का महत्त्वपूर्ण स्थान है। जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, यह कथा-कहानियों का विशाल भंडार है और इसकी कहानियाँ भारत के कोने-कोने में फैली हुई हैं, हालाँकि कम ही लोग जानते हैं कि वे कब से प्रचलित हैं और कहाँ से ली गई हैं।

सारी पुस्तक कहानियों से भरी पड़ी हैं और कहानियाँ भी कैसी? एक-से-एक बढ़कर। इतनी रोचक कि एक बार हाथ में उठा लें, तो बिना पूरी किए छूटे ही नहीं। कहानियों को पढ़कर मनोरंजन तो होता ही है, शिक्षाप्रद भी बहुतेरी हैं, साथ ही उनसे तत्कालीन समाज के जन-जीवन की-रीति-रिवाजों, प्रथाओं, लोकाचार तथा किसी हद तक इतिहास की भी, झाँकी मिलती है।

मूल ग्रंथ की रचना ग्यारहवीं शताब्दी में हुई थी। इन नौ सौ वर्षों में अनेक विद्वानों ने इस पर अन्वेषण-कार्य किया है और अंग्रेजी में तो इसका अनुवाद भी दस जिल्दों में कभी का निकल चुका है।

प्रसिद्ध साहित्यकार विष्णु प्रभाकर द्वारा संपादित यह धरोहर पुस्तक पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है। आशा है इसके पठन-पाठन से पाठकों में मूल ग्रंथ को पढ़ने की जिज्ञासा उत्पन्न होगी।

You May Be Interested In…

Customer Reviews

0 reviews
0
0
0
0
0

There are no reviews yet.

Be the first to review “Katha-Saritsagar”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

1 2 3 4 5

You have to be logged in to be able to add photos to your review.