Kavir Shahab Ki Shubodh Shakhiya (PB)

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Author: VIYOGI HARI
ISBN: 978-81-7309-107-0
Pages: 83
Language: Hindi
Year: 2017

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Book Description

कबीर साहब की सुबोध साखियां

संकलन-टीका: वियोगी हरि

मूल्य: 40.00 रुपए

साखियां यों तो सभी संतों की निराली हैं। एक-एक शब्द उनका अंतर पर चोट करता है। पर कबीर साहब की साखियों का तो और भी निराली रंग है। वे हमारे हृदय पर बड़ी गहरी छाप छोड़ जाती हैं। सीधे-सादे अनपढ़ आदमी पर तो और भी अधिक ये साखियां अपना अमिट प्रभाव शायद इसलिए डाल जाती हैं कि उन्हीं की तरह एक अनपढ़ संत ने सहज-सरल जीवन को पहचाना था और उसके साथ एकाकार हो गया था। दूसरों के मुख से सुनी उसने कोई बात नहीं कही, अपनी आंखों-देखी ही कही। जो कुछ भी कहा अनूठा कहा, किसी का जूठा नहीं। कबीर की वाणी गहरी और ऊंचे घाट की है। सत्य को उसने अपने आमने-सामने देखा और दूसरों को भी दिखाने का बड़े प्रेम से जतन किया। सत्य की राह में जो भी आड़े आया, उसे उसने बख्शा नहीं। बाहरी कर्मकांड, जात-पांत और छूत-छात को उसने झकझोर डाला। मिथ्याचार उसमें कहीं भी जगह नहीं पा सका। साखियां यानी दोहों में तो जैसे कबीर ने गागर में सागर भर दिया है। लगता है कि जैसे बूंद में सिंधु लहरा रहा है।

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