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मंडल के आत्मकथा, जीवनी तथा संस्मरण साहित्य की लड़ी में श्रीमती कृष्णा हठीसिंग की यह पुस्तक एक महत्वपूर्ण कड़ी है। पुस्तक कोरी आत्मकथा नहीं है, न इतिहास। यह एक परिवार की और एक युग की कहानी है, जिसकी पंक्ति-पंक्ति में आत्मानुभव की छाप है। इसमें हमें नेहरू-परिवार की अंतरंग झलकियां मिलती हैं, जो अन्यत्र कहीं नहीं मिलतीं। इसमें हमें अपने नेताओं के ऐसे सजीव चित्र मिलते हैं, जो इस रूप में पहले कभी हमारे सामने नहीं आए। एक राजनैतिक परिवार का चित्र होने पर भी पुस्तक मूलतः राजनैतिक नहीं है।
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