सागर के आर-पार
यशपाल जैन
मूल्य: 20.00 रुपए
देश-विदेश के प्रवासों के संबंध में ‘मण्डल’ ने बहुत-सा साहित्य प्रकाशित किया है। इस साहित्य की सभी क्षेत्रों में बड़ी सराहना की गई है। इसका कारण यह है कि वह साहित्य अत्यंत सजीव तथा प्रामाणिक है, क्योंकि उसकी रचना व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर की गई है। इनमें से कई पुस्तकों के तो एक से अधिक संस्करण हुए हैं। हिंदी में इस प्रकार का साहित्य कम ही मिलता है। प्रस्तुत पुस्तक के लेखक सदभावना यात्रा पर सूरीनाम गए थे। वहां से अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में भाग लेने ट्रिनीडाड। तत्पश्चात उन्होंने अमरीकी और कैनेडा के विभिन्न भागों की यात्रा की। उस सबका बड़ा ही सरल तथा ज्ञानवर्द्धक विवरण इस पुस्तक में दिया गया है।
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