श्री विष्णु प्रभाकर की पुस्तक ‘संस्कृति क्या है?’ प्रकाशित करते हुए ‘मण्डल’ को बड़ी प्रसन्नता हो रही है। संस्कृति क्या है? – पुस्तक में संस्कृति की उन मुख्य मुख्य बातों पर विचार किया गया है, जिनका हमारे जीवन से सीधा सम्बन्ध हैं। इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि लेखक श्री विष्णु प्रभाकर ने किसी भी संकुचित सम्प्रदाय अथवा मान्यता से बंधकर नहीं चले। उन्होंने जिस किसी विषय को लिया है, उस पर स्वतंत्र बुद्धि से, निर्भीकतापूर्वक, अपने विचार व्यक्त किये हैं। यही कारण है कि यह पुस्तक हमें पर्याप्त विचार सामग्री देने के साथ-साथ उपयोगी जीवन व्यतीत करने के लिए बड़ी स्फूर्ति और प्रेरणा प्रदान करती है।
मनुष्य को सभ्य बनाने में संस्कृति ही कारण बनती है और यही मनुष्य को विनम्र बनाती है। संस्कार-विहीन संस्कृति का नाम विकृति है। इस बात को विष्णु प्रभाकर जी ने बड़े ही सरल ढंग से वर्णन किया है।
यह पुस्तक मूलत: नये लोगों के लिए लिखी गई है, जिनका उद्देश्य साधारण जन को अपनी संस्कृति के मूल तत्त्व तथा विकृति से परिचित कराना है।
आशा है पाठक इस पुस्तक के पढ़ने के पश्चात् अपनी संस्कृति को पहचान तो लगे ही साथ-ही-साथ उसमें फैली हुई विकृतियों को भी पहचान सकेंगे। इस कारण यह पतक अद्वितीय है।
हमें विश्वास है कि यह पुस्तक अपनी संस्कृति को समझने तथा उसे लोकप्रिय बनाने में सहायक होगी तथा इसका सर्वत्र स्वागत होगा।
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