सर्वोदय
मो.क. गांधी
मूल्य: 25.00 रुपए
प्रस्तुत पुस्तक वह कृति है जिसने गांधीजी पर ‘जादू-भरा असर’ डाला था। दक्षिण अफ्रीका मंे गांधीजी एक बार जोहान्सबर्ग से नेटाल जा रहे थे। चैबीस घंटे का सफर था। उनके एक साथी ने रास्ते में पढ़ने के लिए उन्हें स्टेशन पर एक पुस्तक दी। इस पुस्तक के विषय में गांधीजी ने अपनी ‘आत्मकथा’ में लिखा है, ‘‘इस पुस्तक को हाथ में लेकर मैं छोड़ ही न सका। उसने मुझे पकड़ लिया। …ट्रेन शाम को डरबन पहुंचनी थी। पहुंचने के बाद मुझे सारी रात नींद नहीं आई। पुस्तक में प्रकट किए हुए विचारों का अमल में लाने का इरादा किया। … मेरा यह विश्वास है कि जो चीज मुझमें गहराई से भरी हुई थी, उनका यह स्पष्ट प्रतिबिंब मैंने रस्किन के इस ग्रंथ-रत्न में देखा।” गांधी जी के जीवन की दिशा बदल गई। उन्होंने उस पुस्तक का सार तैयार किया, जो ‘सर्वोदय’ के नाम से प्रकाशित हुआ।
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