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हमारे हृदय में जो आशा-भरी तरंगें उठा करती हैं, हमारी आत्मा में जिन महत्वाकांक्षाओं का जन्म होता रहता है, हमारे मन में जिन दिव्य भावनाओं का उदय होता रहता है, क्या वे खरगोश के सींग के समान असत्य हैं, व्यर्थ हैं, फिजूल हैं? नहीं, नहीं, वे जीवनप्रद हैं, सत्य हैं, मजबूत जड़वाली हैं, प्रबल हैं, प्रभावात्पादक हैं, हमारी शक्ति की सूचक और हमारे उद्देश्य की उच्चता की मापक हैं, हमारी कार्य-संपादन की शक्ति के परिणाम की द्योतक हैं। इस पुस्तक में दिव्य जीवन जीने के तरीकों पर प्रकाश डाला गया है।
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