तुकाराम गाथा-सार
संग्रहकर्ता-अनुवादक: नारायणप्रसाद जैन
मूल्य: 30.00 रुपए
संतो की वाणी प्रत्येक व्यक्ति के लिए बड़ी उपयोगी होती हैं। दुनिया के मायाजाल में जब आदमी अशांत होकर भटकता है तो संतों के जीवन-चरित और उनके वचन उसे सही रास्ते के दर्शन कराते हैं। संतों की पावन वाणी को पाठकों को सुलभ कराने में ‘मण्डल’ अपना यत्किंचित योगदान देता रहा है। संत-वाणी, बुद्ध वाणी, महावीर वाणी, संत-सुधा-सार आदि इसी दिशा के प्रकाशन हैं। इसी शृंखला में महाराष्ट्र के महान संत तुकाराम के चुने हुए विचार-रत्नों की यह मणिका पाठकों के हाथों में पहुंची। पाठकों की सुविधा के लिए पुस्तक की सामग्री को विभिन्न वर्गों में विभाजित कर दिया गया है।
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