राजाजी ने बहुत-कुछ लिखा है। रामायण, महाभारत, श्रीमद्भागवत, उपनिषद् आदि के सबंध में उन्होंने अपनी अनुपम शैली में अत्यंत मूल्यवान विचार दिए हैं। लेखक के विचार बहुत ही सुलझे हुए हैं। अतः उनकी कृतियों में जहां विचारों की स्पष्टता है, वहां प्रवाह भी खूब है। सामान्य शिक्षित व्यक्ति भी उनसे लाभ उठा सकते हैं। उनकी लगभग सभी पुस्तकें ‘मण्डल’ ने हिंदी में प्रकाशित की हैं। इस पुस्तक में उन्होंने श्री रामकृष्ण परमहंस के बिखरे हुए असंख्य उपदेश-रत्नों में से चुने हुए रत्नों की व्याख्या की है, जो हमारे वर्तमान जीवन के नव-निर्माण की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी हैं।
Ramkrishan Upnishad (PB)
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